07 September, 2015

जहाँ भी रहो...अपने जाम में हमारे नाम की बर्फ डालना मत भूलना.

'कहाँ जा रही हो जानेमन?',
'जहन्नुम'
'इतना बड़ा बक्सा लेकर? इसमें क्या मंटो उस्ताद के लिए किताबें ले जा रही हो?'
'गोश्त ले जा रही हूँ. कलेजी. तुझ जैसे जले बुझे लोगों की हाय. तू मेरे मंटो का पीछा छोड़ के मर क्यूँ नहीं जाती?'
'मरें तेरे आशिक़...इस बेतरह खूबसूरत दुनिया से रुखसत होने को जब तक मंटो का पर्सनल लेटर नहीं आएगा...हम तो न जाने वाले हैं...हाँ तू जा ही रही है तो ये ले...मेरा रूमाल लेते जा सरकार के लिए...उन्हें कहना, बंदी उनके इश्क़ में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही है...वे मुझे जल्द बुलावा भेजें कि हालत बहुत नाज़ुक है'.
'तेरी नाज़ुक हालत से मंटो का क्या कनेक्शन? ये सब इस कमबख्त सिगरेट का किया धरा है...इतनी सिगरेट न पिया कर...यूँ भी तेरा जिगर जला हुआ है...जुबान जल जायेगी तो और जली कटी बातें किया करेगी'
'इत्ती चिंता है तो एक आध अपने आशिकों का कोटा मेरे नाम करती जा'
'मैं घूमने जा रही हूँ...मर नहीं रही जो अपने आशिकों का कोटा तेरे नाम कर दूं...और दुनिया में लड़कों की कमी पड़ गयी है...तुझसे सेकंड हैण्ड माल में कब से इंटरेस्ट होने लगा?'
'तेरी छुअन से नार्मल लड़के भी नशीले हो जाते हैं मेरी जान...हम तो उन्हें वहां वहां चूमेंगे जहाँ तुम्हारे निशान बाकी होंगी...तू न सही...तेरे यार सही'
'मैं न सही? दिन भर, रात भर मेरे कमरे में घर बनाया हुआ है...आखिरी बार अपने घर कब गयी थी? कपड़े मेरे पहनेगी...माँ को मुझसे ज्यादा तेरी पसंद के बारे में पता है...पापा तेरे कैरियर को लेकर परेशान हैं...भाई तेरा दिया फ्रेंडशिप बैंड पहनता है, मेरी लायी राखी नहीं...मेरे आशिकों की गिनती मेरे से ज्यादा तुझे याद है...और मैं कितनी चाहिए तुझे बे?'
'पर तुझे मुझसे प्यार नहीं होता'
'क्यूंकि तूने मंटो पर बुरी नज़र डाल रखी है. तू मंटो को छोड़ दे, मैं पूरी की पूरी तुम्हारी'
'घाटे का सौदा मैं नहीं करती मेरी जान'
'मर फिर. मैं कुछ नहीं बता रही कि कहाँ जा रही हूँ. फुट यहाँ से...कर ले जो करना है'
'देख, कर तो मैं बहुत कुछ सकती हूँ...तू हाथ तो लगाने दे'
'उफ़. लड़के क्या कम आफत थे जो तुमने ये नया शगल पाला है. आई एम स्ट्रेट'
'स्ट्रेट बोले तो सीधी...माने कि जलेबी की तरह'
'भुक्खड़...हमेशा खाने का सोचेगी'
'सोचो, तुम दुनिया की आधी आबादी से इश्क़ करने का चांस मिस कर रही हो'
'तुम्हें ऐसा लगता है कि मुझे इश्क़ की कमी है? जितना है उतनी आफत है...इससे ज्यादा हैंडल नहीं होगा मुझसे'
'यू आर अंडरएस्तिमेटिंग योरसेल्फ...अगर किसी से हैंडल होगा तो तुमसे होगा...कोई ख़ास अंतर नहीं है...तुम एक बार सोच के तो देखो...अपने दिमाग की खिड़कियाँ खोलो मेरी जान...ये लिहाफ हटाओ'
'अच्छा...तो अभी तक इस्मत का जादू चढ़ा हुआ है तेरे सर माथे...मंटो की जगह उससे प्यार कर लो...तुम्हें तो औरतें पसंद आती हैं'
'इस्मत में तेरी वाली बात नहीं है'
'अच्छा...कौन सी बात?'
'हॉटनेस मेरी जान...इस्मत में हॉटनेस की कमी है'
'तुम बायस्ड हो.'
'हाँ, हूँ. मेरा हक बनता है'
'तुम्हें इस्मत से इसलिए प्यार नहीं है क्यूंकि मुझे इस्मत से प्यार नहीं है.'
'अब तुम खुद को ओवरएस्टीमेट कर रही हो. तुम्हें क्या लगता है मेरी जिंदगी तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमती है? तुम्हारे बगैर मैं किसी को नापसंद भी नहीं कर सकती?
'मुझे तुझसे उस तरह का प्यार नहीं होगा कभी. कित्ती बार बोलूंगी तो बात समझ आएगी तुझे?'
'कभी नहीं आएगी. पर वो झगड़ा तो अपन जिंदगी भर कर सकते हैं...फिलहाल ये सामान कहाँ के लिए बाँध रही है वो बता'
'अपने देश में एक नदी है. चम्बल. वहाँ. एक फकीर रहता है'
'चम्बल किनारे डाकू होते हैं. फकीर नहीं.'
'डाकू हॉट हुए तो मुझे दिक्कत नहीं है.'
'मरने का इतना शौक़ है तो हिमालय जा के मर. पहले एक आध किताब लिख मार. न हो तो सुसाइड लेटर्स की एक किताब लिख दे...इतने तो ड्राफ्ट्स लिखे पड़े हैं. तेरे जाने के बाद ये सब मेरा हो जाएगा?'
'तू मेरे सामान से दूर रह. और यूं भी डाकू और फ़कीर में कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. दोनों दुनिया को ठुकराए हुए लोग होते हैं...ज्ञान जहाँ से मिले लपेट लेना चाहिए. चम्बल किनारे का डाकू भी जीना सिखा सकता है'
'तू मर जाने की वजह टाइप करने वाली चलती फिरती टाइपरायटर है...तुझे जीना कोई नहीं सिखा सकता'
'चम्बल की खासियत मालूम है तुझे...चम्बल उलटी बहती है...दक्खिन से उत्तर की तरफ...जबकि भारत की सारी नदियाँ उत्तर से दक्खिन बहती हैं'
'तो?'
'मने, चम्बल की धार उलटी है...चम्बल के किनारे का फ़कीर दुनिया से उलट होगा...उसे मैं समझ आउंगी'
'ये किसने कहा? बात की है तूने फ़कीर से...उसका फेसबुक पेज है? व्हाट्सऐप्प पर उसकी प्रोफाइल पिक दिखा'
'मुझे ये सब नहीं मालूम है'
'तो फिर?'
'बस...कुछ है तो जो मुझे खींच रहा है उस ओर...मैं जानती हूँ चम्बल किनारे कोई फ़कीर है जिसके पास मेरे हिस्से के सारे सवाल होंगे'
'और मेरे सवालों का जवाब कौन देगा? ये किसने गोली दी है तुझे नदियों की दिशा के बारे में? नील नदी भी उत्तर से दक्खिन बहती है...तो? नील नदी के किनारे चली जाएगी?'
'चली जाती अगर कोई मेरा टिकट कटा देता'
'मैं भी चलूंगी तेरे साथ?'
'क्यूँ?'
'इन उलटे पुल्टे प्लान्स का कुछ नहीं होगा...कोई जरूरत नहीं है जाने की...तुझे क्या लगता है कि वाकई चम्बल किनारे कोई फ़कीर बैठा होगा?'
'जानेमन...कुछ न होगा तो तजरबा होगा'
'घंटा होगा...तेरा दिमाग खराब है'
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आपको किसी ने बताया कि चम्बल उल्टी दिशा में बहती है? या कि किसी फ़कीर के बारे में ही?
अब भी उसके लिखे खतों से चम्बल की उजाड़ उदासी बहती है...बीहड़ों में कुछ जिद्दी यादें डाका डालने को तैयार रहती हैं हर वक़्त. दुनिया से किसी एक लड़की के गुम हो जाने से किसी को फर्क नहीं पड़ता. मैं देखती हूँ कि सब पहले जैसा चल रहा है. लोग उसके इंतज़ार के बिना जीने की आदत डाल चुके हैं. मुझे ठीक ठीक याद नहीं मैं उसकी कौन सी बात मिस करती हूँ सबसे ज्यादा. अक्सर मुझे लगता है कि मुझे सबसे ज्यादा दुःख इस बात का होता है कि उसके बिना मंटो से मुहब्बत करने में कोई जायका नहीं.
दोस्त. दुश्मन. परिवार. सब अपनी अपनी जगह है...बहुत खोजने से शायद मिल जाते हैं...या इनके बिना जी जा सकती है ज़िन्दगी. मगर एक अच्छा रकीब...उफ्फ्फफ्फ्फ़. बहुत किस्मत से मिलता है. बहुत. 

तो मेरे रकीब...चियर्स. जहाँ भी रहो...अपने जाम में हमारे नाम की बर्फ डालना मत भूलना.

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